Rochak Kahani Mahabharat ki- महाभारत की रोचक कहानीया

Rochak kahani mahabharat ki
दरअसल प्रत्येक के घर में महाभारत होना चाहिए ! महाभारत को ‘पंचम वेद’ कहा गया है ! यह ग्रंथ भारत देश के हर मानस में बसा हुआ है ! यह भारत की राष्ट्रीय गाथा है ! अपने आदर्श स्त्री-पुरुषों के चरित्रों से भारत के जन-जीवन को यह प्रभावित करता रहा है ! इसमें सैकड़ों पात्रों, स्थानों, घटनाओं तथा विचित्रताओं व विडंबनाओं का वर्णन है ! तो चलिए जानते है – Rochak Kahani Mahabharat ki – महाभारत की रोचक रहश्यमय कहानीया जो शायद आप नहीं जानते होंगे !
Rochak Kahani Mahabharat ki

ऐसा कहना बिलकुल गलत नहीं होगा की सारे संसार की समश्याओ का समाधान महाभारत में मिल जाता है ! यहाँ तक आजका कॉर्पोरेट जगत भी बिज़नेस मैनेजमेंट के पाढ़ महाभारत ग्रन्थ से शिख रहा है !
महाभारत में कई घटना, संबंध और ज्ञान-विज्ञान के रहस्य छिपे हुए हैं ! इस ग्रन्थ का हर पात्र जीवंत है, चाहे वह कौरव, पांडव, कर्ण और कृष्ण हो या धृष्टद्युम्न, शल्य, शिखंडी या कृपाचार्य हो !महाभारत सिर्फ योद्धाओं की गाथाओं तक सीमित नहीं है ! महाभारत से जुड़े श्राप, वचन और आशीर्वाद में भी रहस्य छिपे हैं !
यह की कहानी युद्ध के बाद समाप्त नहीं होती है ! असल में महाभारत की कहानी तो युद्ध के बाद शुरू होती है, जो आज भी जारी है ! जानकार जानते हैं कि वर्तमान युग महाभारत की ही देन है ! खैर, हम आपको बताएंगे महाभारत के पात्रों की ऐसी विचित्र कहानी जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे ! ये कहानियां हमने महाभारत से अलग दूसरे ग्रंथों से भी संग्रहीत की हैं !
Rochak Kahani Mahabharat ki – Shikhandi
1. शिखंडी का नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा ! शिखंडी को उसके पिता द्रुपद ने पुरुष की तरह पाला था तो स्वाभाविक है कि उसका विवाह किसी स्त्री से ही किया जाना चाहिए ! ऐसा ही हुआ लेकिन शिखंडी की पत्नी को इस वास्तविकता का पता चला तो वह शिखंडी को छोड़ अपने पिता के घर चली गई ! क्रोधित पिता ने द्रुपद के विनाश की चेतावनी दे दी !

हताश शिखंडी जंगल में जाकर आत्महत्या करने लगा तभी एक यक्ष ने वहां उपस्थित होकर उसकी स्थिति पर दया करते हुए रातभर के लिए अपना लिंग उसे दे दिया ताकि वह अपना पुरुषत्व सिद्ध कर सके ! हालांकि यक्ष की इस हरकत से यक्षपति कुबेर नाराज हो गए और उन्होंने उस यक्ष को श्राप दे दिया कि शिखंडी के जीते-जी उसे अपना लिंग वापस नहीं मिल पाएगा ! यही शिखंडी महाभारत में भीष्म के घायल होने और अंततः उनकी मृत्यु का कारण बना !
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Rochak Kahani Mahabharat ki – Dronacharya
2. द्रोणाचार्य को भारत का पहले टेस्ट ट्यूब बेबी माना जा सकता है. यह कहानी भी काफी रोचक है ! द्रोणाचार्य के पिता महर्षि भारद्वाज थे और उनकी माता एक अप्सरा थीं ! दरअसल, एक शाम भारद्वाज शाम में गंगा नहाने गए तभी उन्हें वहां एक अप्सरा नहाती हुई दिखाई दी ! उसकी सुंदरता को देख ऋषि मंत्र मुग्ध हो गए और उनके शरीर से शुक्राणु निकला जिसे ऋषि ने एक मिट्टी के बर्तन में जमा करके अंधेरे में रख दिया !इसी से द्रोणाचार्य का जन्म हुआ !
Mahabharat ki Ansuni Bate – King Pandu
3. जब पांडवों के पिता पांडु मरने के करीब थे तो उन्होंने अपने पुत्रों से कहा कि बुद्धिमान बनने और ज्ञान हासिल करने के लिए वे उनका मस्तिष्क खा जाएं ! केवल सहदेव ने उनकी इच्छा पूरी की और उनके मस्तिष्क को खा लिया ! पहली बार खाने पर उसे दुनिया में हो चुकी चीजों के बारे में जानकारी मिली ! दूसरी बार खाने पर उसने वर्तमान में घट रही चीजों के बारे में जाना और तीसरी बार खाने पर उसे भविष्य में क्या होनेवाला है, इसकी जानकारी मिली !
Rochak Kahani Mahabharat ki – Bhishma
4. भीष्म को इच्छामृत्यु प्राप्त थी ! जब बाणों से उनका शरीर छेद दिया गया तब भी उन्होंने देह का त्याग नहीं किया ! महाभारत के अनुसार सूर्य जब तक उत्तरायन नहीं हुआ, तब तक वे इसी तरह शरशैया पर लेटे रहे ! युद्ध समाप्ति के बाद भी उन्होंने कई दिनों तक शरीर नहीं छोड़ा था ! प्रतिदिन उनसे बचे हुए योद्धा, कृष्ण और पांडव आदि प्रवचन सुनने आते थे !

एक दिन युद्धोपरांत भीष्म के मृत्युवरण से पूर्व पांडव उनका आशीर्वाद लेने गए ! बातचीत में युधिष्ठिर ने पूछा- पितामह, पुरुष और स्त्री में किसे अधिक यौन सुख प्राप्त होता है? संतान द्वारा माता और पिता कहे जाने से माता और पिता में किसे अधिक कर्णप्रिय लगता है? भीष्म ने उत्तर दिया- राजा भंगाश्वन के अतिरिक्त इन प्रश्नों का उत्तर कोई नहीं जानता ! उनकी अनेक-अनेक पत्नियां और संतानें थीं ! इंद्र के श्राप से वह स्त्री बन गया और उसने एक पुरुष से शादी कर संतानों को भी जन्म दिया ! इस प्रकार उसके ज्ञान में पति और पत्नी तथा माता और पिता का अनुभव है ! वही तुम्हारे प्रश्नों का उत्तर देने में सक्षम है !
Nagkanya ki Kahani – Arjun Death Mystery
5. क्या अर्जुन मारे गए थे ? द्रौपदी के अलावा अर्जुन की सुभद्रा, उलूपी और चित्रांगदा नामक तीन और पत्नियां थीं ! सुभद्रा से अभिमन्यु, उलूपी से इरावन, चित्रांगदा से बभ्रुवाहन नामक पुत्रों का जन्म हुआ ! चित्रांगदा का वभ्रुवाहन महाभारत के युद्ध में लड़ा था ! कहते हैं कि अपने ही पुत्र द्वारा अर्जुन मारे गए ! यह कैसे हुआ इसके पीछे भी एक कथा है !

महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद एक दिन महर्षि वेदव्यास और श्रीकृष्ण के कहने पर पांडवों ने अश्वमेध यज्ञ करने का विचार किया ! पांडवों ने शुभ मुहूर्त देखकर यज्ञ का शुभारंभ किया और अर्जुन को रक्षक बना कर घोड़ा छोड़ दिया ! वह घोड़ा जहां भी जाता, अर्जुन उसके पीछे जाते ! अनेक राजाओं ने पांडवों की अधीनता स्वीकार कर ली वहीं कुछ ने मैत्रीपूर्ण संबंधों के आधार पर पांडवों को कर देने की बात मान ली !
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वह घोड़ा घुमते घुमते मणिपुर जा पहुंचा ! मणिपुर नरेश बभ्रुवाहन ने जब सुना कि मेरे पिता आए हैं, तब वह गणमान्य नागरिकों के साथ बहुत सा धन साथ में लेकर बड़ी विनय के साथ उनके दर्शन के लिए नगर सीमा पर पहुंचा ! मणिपुर नरेश को इस प्रकार आया देख अर्जुन ने धर्म का आश्रय लेकर उसका आदर नहीं किया ! उस समय अर्जुन कुछ कुपित होकर बोले, बेटा! तेरा यह ढंग ठीक नहीं है ! जान पड़ता है, तू क्षत्रिय धर्म से बहिष्कृत हो गया है ! पुत्र! मैं महाराज युधिष्ठिर के यज्ञ संबंधी अश्व की रक्षा करता हुआ तेरे राज्य के भीतर आया हूं ! फिर भी तू मुझसे युद्ध क्यों नहीं करता? क्षत्रियों का धर्म है युद्ध करना !
अर्जुन ने क्रोधित होकर कहा, तुझ दुर्बुद्धि को धिक्कार है, तू निश्चय ही क्षत्रिय धर्म से भ्रष्ट हो गया है, तभी तो एक स्त्री की भांति तू यहां युद्ध के लिऋ आए हुए मुझे शान्तिपूर्वक साथ लेने के लिए चेष्टा कर रहा है ! .इस तरह अर्जुन ने अपने पुत्र को बहुत खरीखोटी सुनाई !
उस समय अर्जुन की पत्नी नागकन्या उलूपी भी उस वार्तालाप को सुन रही थी ! तब मनोहर अंगों वाली नागकन्या उलूपी धर्म निपुण बभ्रुवाहन के पास आकर यह धर्मसम्मत बात बोली- बेटा तुम्हें विदित होना चाहिए कि मैं तुम्हारी विमाता नागकन्या उलूपी हूं ! तुम मेरी आज्ञा का पालन करो ! इससे तुम्हें महान धर्म की प्राप्ति होगी ! तुम्हारे पिता कुरुकुल के श्रेष्ठ वीर और युद्ध के मद से उन्मत्त रहने वाले हैं। अत: इनके साथ अवश्य युद्ध करो ! ऐसा करने से ये तुम पर प्रसन्न होंगे ! इसमें संशय नहीं है ! यह सुनकर वभ्रुवाहन ने अपने पिता अर्जुन से युद्ध करने का निश्चिय की। तब अर्जुन और बभ्रुवाहन के बीच घोर युद्ध हुआ !
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कहा जाता है की इस युद्ध में बभ्रुवाहन मूर्छित हो गए थे और अर्जुन मारे गए थे ! अर्जुन के मारे जाने का समाचार सुनकर युद्ध भूमि में अर्जुन की पत्नी चित्रांगदा पहुंचकर विलाप करने लगी ! वह उलूपी से कहने लगी तुम्हारी ही आज्ञा से मेरे पुत्र बभ्रुवाहन ने अपने पिता से युद्ध किया ! चित्रांगदा ने रोते हुए उलूपी से कहा कि तुम धर्म की जानकार हो बहिन में तुमसे अर्जुन के प्राणों की भीख मांगती हूं ! चित्रांगदा ने उलूपी को कठोर और विनम्र दोनों ही तरह के वचन कहे ! अंत में उसने कहा तुम्ही ने बेरे बेटो को लड़कार उनकी जान ली है ! मेरा बेटा भले ही मारा जाए लेकिन तुम अर्जुन को जीवित करो !अन्यथा मैं भी अपने प्राण त्याग दूंगी !

तभी मूर्छित बभ्रुवाहन को होश आ गया और उसने देखा की उसकी मां अर्जुन के पास बैठकर विलाप कर रही है और विमाता उलूपी भी पास ही खड़ी है ! बभ्रुवाहन अपने पिता अर्जुन के समक्ष बैठकर विलाप करने लगा और प्राण लिया कि अब मैं भी इस रणभूमि पर आमरण अनशन कर अपनी देह त्याग दूंगा !
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पुत्र और मां के विलाप को देख-सुनकर उलूपी का हृदय भी पसीज गया और उसने संजीवन मणिका का स्मरण किया ! नागों के जीवन की आधारभूत मणि उसके स्मरण करते ही वहां आ गई ! तब उन्होंने बभ्रुवाहन से कहा बेटा उठो शोक मत करो ! अर्जुन तुम्हारे द्वारा परास्त नहीं हुए हैं ! ये मनुष्यमात्र के लिए अजेय हैं। लो, यह दिव्य मणि अपने स्पर्श से सदा मरे हुए सर्पों को जीवित किया करती है। इसे अपने पिता की छाती पर रख दो। इसके स्पर्श होते ही वे जीवित हो जाएंगे ! बभ्रुवाहन ने ऐसा ही किया ! अर्जुन देरतक सोने के बाद जागे हुए मनुष्य की भांति जीवित हो उठे ! फिर उन्होंने अश्वमेघ का घोड़ा अर्जुन को लौटा दिया ! और अपनी माताओं चित्रांगदा और उलूपी के साथ युधिष्ठिर के अश्वमेघ यज्ञ में शामिल हुए !

Mahabharat ki Ansuni Bate – Udupi King
6. महाभारत के युद्ध में उडुपी के राजा ने निरपेक्ष रहने का फैसला किया था. उडुपी का राजा न तो पांडव की तरफ से थे और न ही कौरव की तरफ से ! उडुपी के राजा ने कृष्ण से कहा था कि कौरवों और पांडवों की इतनी बड़ी सेना को भोजन की जरूरत होगी और हम दोनों तरफ की सेनाओं को भोजन बनाकर खिलाएंगें !18 दिन तक चलने वाले इस युद्ध में कभी भी खाना कम नहीं पड़ा ! सेना ने जब राजा से इस बारे में पूछा तो उन्होंने इसका श्रेय कृष्ण को दिया ! राजा ने कहा कि जब कृष्ण भोजन करते हैं तो उनके आहार से उन्हें पता चल जाता है कि कल कितने लोग मरने वाले हैं और खाना इसी हिसाब से बनाया जाता है !
Mahabharat ki Ansuni Bate – Danvir Karna
7. कर्ण दान करने के लिए काफी प्रसिद्ध था ! कर्ण जब युद्ध क्षेत्र में आखिरी सांस ले रहा था तो भगवान कृष्ण ने उसकी दानशीलता की परीक्षा लेनी चाही ! वे गरीब ब्राह्मण बनकर कर्ण के पास गए और कहा कि तुम्हारे बारे में काफी सुना है और तुमसे मुझे अभी कुछ दान चाहिए ! कर्ण ने उत्तर में कहा कि आप जो भी चाहें मांग लें ! ब्राह्मण ने सोना मांगा ! कर्ण ने कहा कि सोना तो उसके दांत में है और आप इसे ले सकते हैं ! ब्राह्मण ने जवाब दिया कि मैं इतना कायर नहीं हूं कि तुम्हारे दांत तोड़ूं ! कर्ण ने तब एक पत्थर उठाया और अपने दांत तोड़ लिए ! ब्राह्मण ने इसे भी लेने से इंकार करते हुए कहा कि खून से सना हुआ यह सोना वह नहीं ले सकता ! कर्ण ने इसके बाद एक बाण उठाया और आसमान की तरफ चलाया ! इसके बाद बारिश होने लगी और दांत धुल गया !

Mahabharat ki Rochak Katha – Ashwathama
8. अश्वस्थामा क्यों जीवित है ? महाभारत के युद्ध में अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया था जिसके चलते लाखों लोग मारे गए थे ! अश्वत्थामा के इस कृत्य से कृष्ण क्रोधित हो गए थे और उन्होंने अश्वत्थामा को शाप दिया था कि ‘तू इतने वधों का पाप ढोता हुआ 3,000 वर्ष तक निर्जन स्थानों में भटकेगा ! तेरे शरीर से सदैव रक्त की दुर्गंध नि:सृत होती रहेगी ! तू अनेक रोगों से पीड़ित रहेगा ! व्यास ने श्रीकृष्ण के वचनों का अनुमोदन किया !

कहते हैं कि अश्वत्थामा इस श्राप के बाद रेगिस्तानी इलाके में चला गया था और वहां रहने लगा था ! कुछ लोग मानते हैं कि वह अरब चला गया था ! उत्तरप्रदेश में प्रचलित मान्यता अनुसार अरब में उसने कृष्ण और पांडवों के धर्म को नष्ट करने की प्रतिज्ञा ली थी ! हालांकि भारत में लोग दावा करते हैं कि अमुक जगहों पर अश्वत्थामा आता रहता है, लेकिन अब तक इसकी सचाई की पुष्टि नहीं हुई है ! यदि हम यह मानें कि उनको मात्र 3,000 वर्षों तक जिंदा रहने का ही शाप था, तो फिर वे अब तक मर चुके होंगे, क्योंकि महाभारत युद्ध को हुए 3,000 वर्ष कभी के हो चुके हैं ! लेकिन यदि उनको कलिकाल के अंत तक भटकने का श्राप दिया गया था तो वो जीवित हो शकते है !
Rochak Kahani Mahabharat ki – Karna and Duryodhan
9. कर्ण और दुर्योधन की दोस्ती के किस्से तो काफी मशहूर हैं ! कर्ण और दुर्योधन की पत्नी दोनों एक बार शतरंज खेल रहे थे ! इस खेल में कर्ण जीत रहा था तभी भानुमति ने दुर्योधन को आते देखा और खड़े होने की कोशिश की ! दुर्योधन के आने के बारे में कर्ण को पता नहीं था ! इसलिए जैसे ही भानुमति ने उठने की कोशिश की कर्ण ने उसे पकड़ना चाहा ! भानुमति के बदले उसके मोतियों की माला उसके हाथ में आ गई और वह टूट गई ! दुर्योधन तब तक कमरे में आ चुका था ! दुर्योधन को देख कर भानुमति और कर्ण दोनों डर गए कि दुर्योधन को कहीं कुछ गलत शक ना हो जाए ! मगर दुर्योधन को कर्ण पर काफी विश्वास था ! उसने सिर्फ इतना कहा कि मोतियों को उठा लें !

Rochak Story Mahabharat ki – Abhimanyu
10. अभिमन्यु की पत्नी वत्सला बलराम की बेटी थी ! बलराम चाहते थे कि वत्सला की शादी दुर्योधन के बेटे लक्ष्मण से हो ! वत्सला और अभिमन्यु एक-दूसरे से प्यार करते थे ! अभिमन्यु ने वत्सला को पाने के लिए घटोत्कच की मदद ली ! घटोत्कच ने लक्ष्मण को इतना डराया कि उसने कसम खा ली कि वह पूरी जिंदगी शादी नहीं करेगा !
Rochak Story Mahabharat ki – Arjun’s son Eravan
11. अर्जुन के बेटे इरावन ने अपने पिता की जीत के लिए खुद की बलि दी थी ! बलि देने से पहले उसकी अंतमि इच्छा थी कि वह मरने से पहले शादी कर ले ! मगर इस शादी के लिए कोई भी लड़की तैयार नहीं थी क्योंकि शादी के तुरंत बाद उसके पति को मरना था ! इस स्थिति में भगवान कृष्ण ने मोहिनी का रूप लिया और इरावन से न केवल शादी की बल्कि एक पत्नी की तरह उसे विदा करते हुए रोए भी !
उम्मीद है की महाभारत की ये Rochak Kahani Mahabharat ki आपको पसंद आई होगी ! ऐसी और रोचक और दिलचस्प कहानिया पढ़ने के लिए हमें फॉलो करे !
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